20 अप्रैल के बाद मक्का की ये वैरायटी दिलायेंगी भरपूर मुनाफा, आइये आपको बताते हैं कैसे होगा इनसे किसानों का तगड़ा मुनाफा।
20 अप्रैल के बाद करें मक्के की इन किस्मों की बुवाई
कई सारे किसान मक्के की खेती करना अपने खेतों में काफी ज्यादा पसंद करते हैं। मक्के की खेती में पानी की खपत काफी कम होती है जिसके कारण किसानों को इससे मुनाफा काफी अच्छा होता है। मक्के से एथेनॉल, पशु चारा और भी बहुत सी चीजों का निर्माण किया जाता है। बाजार में मक्के की डिमांड 12 महीने बनी रहती है जिसके कारण इसकी खेती करने से किसानों को बहुत ही अच्छा मुनाफा मिलता है।

कम दिनों में बेहतरीन उत्पादन प्राप्त करने के लिए किस मक्के की कई सारी ऐसी वैरायटी का चयन करते हैं जो कि उन्हें कम पानी में भी बेहतरीन उत्पादन देती है। आज हम भी आपको मक्के की कुछ ऐसी वैरायटी के बारे में बताने जा रहे हैं जिसकी बुवाई 20 अप्रैल के बाद करने पर आपको कम पानी में भी बंपर पैदावार मिलने वाली है। आइये आपको बताते हैं कौन सी है यह वैरायटी जो आपको बेहद ही कम दिनों में दिलाएंगी मोटा मुनाफा।
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कम पानी में भी इन किस्मों से मिलेगा तगड़ा उत्पादन
- गंगा-5 मक्के की एक ऐसी किस्म मानी जाती है जो कि कई सारे मौसम के बदलावों को आसानी से झेल लेती है यह फसल जल्दी खराब भी नहीं होती साथ ही इसे प्रति हेक्टर 50 से 60 कुंतल तक की पैदावार मिलती है इस किस्म को कम पानी में भी उगाया जा सकता है।
- यदि आप मकई के किसी हाइब्रिड किस्म की तलाश कर रहे हैं तो आप मक्के की पार्वती किस्म की बुवाई भी कर सकते हैं यह किस्म 90 से 100 दिनों में पककर तैयार हो जाती है साथ ही आपके प्रति हेक्टर 50 से 55 कुंतल तक का उत्पादन देती है यह किस्म राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात के किसानों के लिए बहुत ही अच्छी किस्में मानी जाती है।
- मक्के की पूसा हाइब्रिड किस्म एक उन्नत नस्ल मानी जाती है जो की 80 से 90 दिनों के भीतर तैयार होकर प्रति हेक्टेयर 55 से 65 कुंतल तक का उत्पादन देती है तमिलनाडु और कर्नाटक के किसान इस किस्म को काफी ज्यादा पसंद करते हैं।
- मक्के की शक्तिमान किस्म भी अधिक पैदावार देने में काफी ज्यादा सहायक मानी जाती है यह 90 से 100 दिनों में पककर तैयार होती है साथ ही एक क्विंटल से 70 से 80 कुंतल तक की पैदावार देती है यह ज्यादातर मध्य प्रदेश और राजस्थान के इलाकों में उगाई जाती है।
- मक्के की शक्ति-1 किस्म से किसानों को एक हेक्टर से 55 से 60 कुंतल तक की पैदावार मिलती है साथ ही ये 90 से 95 दिनों में पककर तैयार हो जाती है यह किस्म खाने में बेहद ही स्वादिष्ट होती है जिससे किसानों को कम लागत में बेहतरीन मुनाफा होता है।