गेहूं-चना की कटाई के बाद अब अगले साल के लिए भी इस तरह हो जायेगा बीजों का जुगाड़, यदि आप भी महंगे बीजों को खरीदने में परेशानी का सामना करते हैं तो आज हम आपको इसका कमाल का जुगाड़ बता रहे हैं जिससे आपके अगले साल के बीजों का जुगाड़ भी आसानी से हो जायेगा।
अब नहीं होगी अगले साल के बीजों की टेंशन
गेहूं चना की कटाई का समय नजदीक आ गया है इसके बाद किसानों को कुछ ऐसे काम कर लेने होंगे इसके बाद उन्हें अगले साल के लिए बीज खरीदने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। किसानों को बीजों का दाम हर साल काफी बढ़ा हुआ मिलता है। जिसके कारण कई किसान बीजों को खरीदने में काफी ज्यादा आर्थिक समस्या का सामना करते हैं। लेकिन आज हम आपको एक ऐसा तगड़ा जुगाड़ बता रहे हैं जिसके बाद आपको गेहूं चना की कटाई के बाद ही शुद्ध बीज प्राप्त हो जाएगा और आप इसे अगले साल तक के लिए स्टोर कर सकेंगे। इससे आपको महंगे बीज नहीं खरीदने पड़ेंगे।

जिन किसानों ने नई वैरायटी के बीज बाजार से खरीदे हैं उन्हें गेहूं और चने की कटाई से पहले पौधों को अच्छे से छांट लेना होगा उसके बाद आपको एक समान शुद्ध बीज ही अपने ही खेत से प्राप्त हो जाएंगे। जिससे कि फिर आपको अगले साल बीज खरीदने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। इसके लिए आप गेहूं की कटाई से पहले रोगिंग प्रक्रिया द्वारा खेत में ऐसी बालियों को छांटकर अलग कर लिया जाता है जो की असामान्य दिखती है सामान्य से जो ऊंची या नीची बालियां हो उन्हें खेत से जड़ समेत उखाड़ कर अलग कर दिया जाता है फिर हार्वेस्टिंग से कटाई करवाई जाती है ऐसा करने से आपको खेत से ही शुद्ध बीज मिल जाता है।
तुरंत मिलेगा शुद्ध बीज
चने के खेत से बीज प्राप्त करने के लिए आप ऐसे पौधों की छंटाई करके अलग रखते हैं जो की वैरायटी से अलग दिख रहा हो या फिर हाइट में अलग हो। ऐसे पौधों को जड़ समेत उखाड़ कर अलग कर देना चाहिए। साथ ही इसकी कतई भी अच्छे से करवानी चाहिए। जिससे कि किसानों को चने का शुद्ध बीज आसानी से प्राप्त हो जाएगा और किसानों को आने वाले समय में नया बीज खरीदने की आवश्यकता नहीं होगी।
लागत बचाकर खेत से ही तैयार कर सकेंगे बीज
रोगिंग प्रक्रिया एक ऐसी विधि होती है जिसमें किसान अपने खेत से ही शुद्ध बीज प्राप्त कर सकते हैं। इससे आपकी बीजों का खर्चा बचता है। साथ ही आपकी लागत भी बच जाती है। खेत से ही आपको अच्छे और शुद्ध बीज प्राप्त हो जाते हैं। जिससे कि आपको अगले साल बीज खरीदने की आवश्यकता नहीं होती है। किसानों को बाजार में बीज काफी महंगे दामों में मिलते हैं। जिसके कारण रोगिंग प्रक्रिया अपनाने के बाद किसानों को बीजों को खरीदने की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा।