मौनी अमावस्या का विशेष पर्व आज

मौनी अमावस्या का विशेष पर्व आज…..इस विधि से नहाने से घर बैठे ही मिलेगा त्रिवेणी संगम जैसा लाभ, आइये आपको बतात हैं आखिर मौनी अमावस्या को क्यों माना जाता है इतना खास।

आज मनाया जायेगा मौनी अमावस्या का पर्व

आज देश भर में मौनी अमावस्या का विशेष पर्व मनाया जाएगा। मौनी अमावस्या पर साधना और पूजा का बहुत ही ज्यादा महत्व रखा गया है क्योंकि ये दिन आत्मशक्ति और आध्यात्मिक उन्नति के लिए विशेष अवसर प्रदान करता है। साथ ही यह लोगों के मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करता है जिसके कारण लोगों में आस्था बनी रहती है। मौनी अमावस्या पर स्नान करने से बहुत ही ज्यादा पुण्य मिलता है। भारतीय संस्कृति में मौनी अमावस्या को एक विशेष पर्व के रूप में मनाया जाता है। साथ ही इसमें मौन रहकर मन की शुद्धि और एकाग्रता प्राप्त की जाती है जो कि आपका मन को स्थिर रखती है। मौनी अमावस्या का पर्व बहुत ही विशेष माना जाता है। इस अमावस्या के आने का इंतजार लोग कई दिनों तक करते हैं। इस अमावस्या में त्रिवेणी संगम में स्नान करने और साधना करने से अक्षय पुण्य फल की प्राप्ति होती है। जिस कारण कई लोग इस समय महाकुंभ में स्नान करने जा रहे हैं, लेकिन आज हम आपको एक ऐसी विधि बताने जा रहे हैं जिसके जरिए आप महाकुंभ जाए बिना ही घर पर बैठे त्रिवेणी संगम स्नान का पुण्य ले सकेंगे। साथ ही इससे आपको अक्षय पुण्य फल की प्राप्ति भी होगी।

प्रयागराज में गंगा, जमुना, सरस्वती का संगम देखा जाता है। अमावस्या की तिथि के साथ मिलकर यह दिव्य योग की रचना करता है जिसके कारण इस दिन गंगा स्नान करने से आत्म शुद्धि होती है और कहा जाता है कि इस दिन स्नान करने से व्यक्ति अपने सभी पापों को दूर कर सकता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर सकता है। आज हम आपको कुछ ऐसी शुभ मुहूर्त और स्नान की विधि के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसको करने से आपको भी अक्षय पुण्य फल की प्राप्ति हो जाएगी।

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इस विधि से स्नान देगा त्रिवेणी संगम जैसा लाभ

यदि आप किसी कारण प्रयागराज नहीं जा पा रहे हैं तो आप घर बैठे ही मौनी अमावस्या के विशेष पर्व पर पुण्य फल प्राप्त करने के लिए स्नान कर सकते हैं। इसके लिए आपको प्रातःकाल स्नान करते समय जल में थोड़ी सी गौ रज यानी की गाय के गोबर की राख लेनी होगी। उसके बाद स्नान करते हुए आपको निम्न मंत्रों का उच्चारण करना होगा-

“त्रिवेणी माधवं सोमं भरद्वाजं च वासुकिम्।
वन्दे अक्षय वटं शेषं प्रयागं तीर्थनायकम।।”

जिसके बाद आपको स्वच्छ वस्त्र धारण करने होंगे। दाहिने हाथ में दुर्वांकुर दूब घास की 16 गांठे लेकर भगवान का ध्यान करें जिससे कि आपकी मानसिक स्थिति में सकारात्मक सुधार आएंगे। मानसिक पूजा करते हुए भगवान के नाम का कीर्तन भी करें। इस दौरान मौन रहकर अपने मन को भगवान के ध्यान में लीन कर दें। इसके बाद आपके घर बैठे ही इस तरह स्नान करने से अक्षय पुण्य फल की प्राप्ति होगी। मौनी अमावस्या का मुख्य उद्देश्य एवं वाणी और मन पर नियंत्रण प्रकार ईश्वर के प्रति लीन हो जाना है जिससे कि आप घर पर रहकर भी अपनी सारी इंद्रियों को संयमित करते हुए यदि साधना करते हैं तो आप अपनी ऊर्जा को सही दिशा में केंद्रित कर सकते हैं। इसके बाद आपको भी त्रिवेणी संगम स्नान के पुण्य का अनुभव होगा और आप बिना महाकुंभ जाए ही घर में ही अक्षय पुण्य फल की प्राप्ति कर सकेंगे।

मौनी अमावस्या 2025 अमृत स्नान मुहूर्त:-
पहला मुहूर्त- 07:20 AM से 08:44 AM
दूसरा मुहूर्त- 08:44 AM से 10:07 AM
तीसरा मुहूर्त- 11:30 AM से 12:53 PM
चौथा मुहूर्त- 05:02 PM से 06:25 PM

जानिए क्या है इस विशेष पर्व की खासियत

इस मौनी अमावस्या पर ग्रहों का एक ऐसा संयोग बन रहा है। जिस कारण यह अमावस्या और भी ज्यादा विशेष हो गई है। इसी अमावस्या पर महाकुंभ की संपूर्ण स्थिति भी बन रही है। जिस कारण यह मौनी अमावस्या बहुत ही ज्यादा विशेष हो गई है। माघ मास की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है। इस दिन गंगा में स्नान करने से दान करने से और अपने पितरों का तर्पण करने से बेहद ही अच्छे फल की प्राप्ति होती है। पितरों की शांति के लिए तर्पण के लिए, श्राद्ध के लिए और पिंडदान करने के लिए मौनी अमावस्या सबसे शुभ मानी जाती है।

माना जाता है कि भगवान विष्णु ने इसी दिन मत्स्य अवतार लिया था और धरती पर इसी दिन सतयुग की शुरुआत भी हुई थी। कुछ लोगों द्वारा यह मान्यता भी है कि राजा भगीरथ ने अपने पूर्वजों की आत्मा शांति के लिए इस दिन गंगा नदी को पृथ्वी पर लाने का प्रयत्न किया था। इसीलिए इस दिन गंगा पवित्र गंगा स्नान करने से पूर्वजों को तृप्ति मिलती है और व्यक्तियों के सभी पापों का नाश होता है। कुछ अन्य मान्यताओं के अनुसार इसी दिन देव-दानवों के बीच में समुद्र मंथन के दौरान अमृत की खोज हुई थी। जिस कारण अमृत को सुरक्षित रखने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया था। इसीलिए इस दिन मौन रहकर भगवान विष्णु की आराधना करने का एक विशेष महत्व होता है।

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