धान के पैदावार बढ़ाने का टॉप सीक्रेट, रोपाई के 10 दिन बाद खेतों में डालें ये चीज, भारत में बड़े पैमाने पर धान की फसल की खेती की जाती है किसानों को धान की खेती करके बहुत ही अच्छा मुनाफा कमाने का मौका मिलता है लेकिन धान की रोपाई करते समय किसानों को सिंचाई की तैयारी और कुछ बातों के देखभाल करना बहुत ही ज्यादा जरूरी होता है जिससे वह धान की रोपाई अच्छी तरह से कर सके और धान के पैदावार को बढ़ा सके।
आज हमें इस आर्टिकल के जरिए किसान भाइयों को धान की रोपाई करते समय एक ऐसी चीज के इस्तेमाल करने के बारे में बताने जा रहे हैं जो कि आपकी धान की फसल में कल्लों की संख्या बढ़ाएगी और इससे आपको काफी अच्छा फायदा होगा आईये जानते हैं आपको इनमें पोषक तत्वों की कमी कैसे पूरी करनी है और साथ ही आप अपने धान की फसल में अच्छी पैदावार कैसे कर सकते हैं इसके बारे में जानते हैं।

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इन बातों का ध्यान रखते हुए करें खादों का इस्तेमाल
धान की फसल में कल्लों को बढ़ाना बहुत ही ज्यादा जरूरी होते हैं पौधों को अच्छी तरह से विकसित होने के लिए संपूर्ण काल में 16 पोषक तत्वों की जरूरत होती है जिसमें नाइट्रोजन और फास्फोरिक उनमें से एक है ऐसे में डीएपी खाद आपके लिए अच्छा विकल्प होगी, डीएपी खाद मिट्टी में मिलकर पानी की उपस्थिति में मिट्टी में घुल जाती है और पौधों को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करती है जिससे पैदावार अच्छी होती है मिट्टी पर छिड़कने के बाद आसानी से घुल जाने पर यह खाद फसलों की जड़ों को भी विकसित करती है।
धान की फसल की बहुत ज्यादा देखभाल करनी होती है यदि इनमें लापरवाही की जाए तो हमारी पूरी फसल खराब हो सकती है जो भी किसान भाई रोपाई कर चुके हैं और पहले सिंचाई की तैयारी कर रहे हैं उनके लिए कुछ बातों को ध्यान में रखना बहुत ज्यादा जरूरी है धान की रोपाई के 10 दिन बाद किसान भाइयों को सिंचाई के दौरान NPK खाद का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए यदि आप एक एकड़ में धान की रोपाई कर रहे हैं तो आप NPK की एक बोरी का इस्तेमाल कर सकते हैं।
जानिए कैसे मिलाएं फसलों के साथ खाद
धान में कल की संख्या बढ़ाने के लिए आपको नाइट्रोजन,फास्फोरस, पोटाश की सही मात्रा फसलों को देनी होगी जिससे पैदावार में कोई कमी नहीं आए डीएपी की एक बोरी में 23 किलोग्राम फास्फोरस और 10 किलोग्राम नाइट्रोजन होता है साथ ही NPK खाद में नाइट्रोजन की मात्रा बहुत ही ज्यादा पाई जाती है जो धान के पौधों में पत्तियों और तनो के विकास में मदद करती है यह धन के पौधों को हरा-भरा बनाती है और स्वस्थ रखती है इससे कीट नियंत्रण भी आप आसानी से कर सकते हैं यदि आप इन दोनों खादों का इस्तेमाल करते हैं तो धान में कल्लों की संख्या तेजी से बढ़ती है और काफी अच्छा पैदावार देखने को मिलता है।