Wheat MSP Price: गेहूं का दाम छू रहे हैं सातवें आसमान, आइये आपको बताते हैं भाव गिराने के लिए सरकार ने क्या योजना बनाई है।
Wheat MSP Price
कई सारे राज्यों में गेहूं के भाव काफी ऊंची कीमतों पर बने हुए हैं जिस कारण केंद्र सरकार ने ओपन मार्केट सेल स्कीम OMSS के तहत बाजार में गेहूं की आपूर्ति बढ़ाने का फैसला किया है। इससे दाम में थोड़ी बहुत गिरावट देखी जा रही है लेकिन MSP की तुलना में हाल ही में गेहूं की कीमतें काफी ज्यादा ऊंचाई पर चल रही है।

गेहूं का देश में राष्ट्रीय स्तर पर थोक भाव 2967 रुपए प्रति कुंतल बना हुआ है जो कि मौजूदा MSP से लगभग 542 रुपए प्रति क्विंटल अधिक है ऐसे में बाजार में आपूर्ति बढ़ाने के लिए सरकार ने 1.5 लाख टन की बिक्री लिमिट को बढ़ाकर 4.5 लाख टन कर दिया है जिससे कि सरकार का मानना है कि गेहूं की कीमत MSP से थोड़ी बहुत नीचे आ सकती है बाजार में गेहूं के दाम से किसानों से खरीद के लिए अभी भी MSP से काफी अधिक है जिस कारण सरकार काफी असमंजस में बनी हुई है।
मंडी में थोक भाव नहीं हो रहा है कम
गेहूं की मंडी में गेहूं का थोक भाव उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में अभी भी MSP से काफी ऊपर बना हुआ है जिसके कारण सरकार को यह फैसला लेना पड़ा है मध्य प्रदेश में भी इस अवधि के दौरान गेहूं का दाम मामूली रूप से गिरकर 2850 से 2840 रुपए प्रति क्विंटल दर्ज किया गया है जबकि राजस्थान में गेहूं का थोक भाव 1 फरवरी को 2840 रुपए था जो की 10 फरवरी को घटकर 2712 रुपए प्रति क्विंटल पर आ चुका है सरकार का मानना है कि गेहूं की खरीद के लिए कीमतें MSP से नीचे लानी होगी जिसके लिए सरकार ने बाजार आपूर्ति के लिए FCI को भी बिक्री लिमिट बढ़ाने को कहा है।
जानिए क्या है सरकार का नया मास्टरप्लान
यदि कीमतें MSP स्तर से नीचे नहीं आती है तब तक सरकार के लिए मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश से टारगेट मात्रा में खरीदी करना बेहद ही मुश्किल होगा क्योंकि हरियाणा और पंजाब में अधिक मंडी शुल्क के चलते अधिकांश निजी व्यापारी इन दो राज्यों में ही खरीद करना पसंद करेंगे जिसके कारण कुछ किसानों को हानि भी हो सकती है बफर स्टॉक के लिए गेहूं की खरीदी कुछ राज्यों में अगले महीने और कुछ अन्य राज्यों में 1 अप्रैल से शुरू होने जा रही है जिस कारण कीमतों को MSP स्तर के आसपास लाया जाना बेहद ही आवश्यक हो गया है केंद्र सरकार ने इसलिए भारतीय खाद्य निगम FCI को मिलर्स और प्रॉसेसिंग यूनिट्स ट्रेडर्स के लिए सप्ताहिक की नीलामी में प्रस्तावित मात्रा को 1.5 टन से बढ़कर 4 लाख टन करने की अनुमति दे दी है जिससे सरकार का अनुमान है की कीमतें MSP से कुछ हद तक नीचे आ सकती है।